उत्तराखंड रोडवेज का परिचालक नशे में धुत्त


 देहरादून।उत्तराखंड रोडवेज की नजीबाबाद से हरद्वार आ रही पूरी बस बिना टिकट मिली। परिचालक नशे में धुत्त,पाया गया , मगर चालक ने अनभिज्ञता जाहिर करते हुए मामले से खुद को अलग बताया । उत्तराखंड रोडवेज के प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान की सख्ती के बावजूद भी रोडवेज के कर्मचारी सुधरने का नाम नहीं ले रहे।  इतना ही नहीं अक्सर चालक परिचालको की ड्यूटी के दौरान शराब पीने की शिकायतें भी मिलती ही रहती है। हरिद्वार डिपो की साधारण बस यूके०7 पी ए० 1335 को हरिद्वार से नजीबाबाद भेजा गया। चूंकि बस में इंजन कार्य होने के कारण ट्रायल के रूप में छोटे रूट पर भेजी गई थी , मगर नजीबाबाद से लौटते वक़्त परिचालक बुरी तरह नशे में धुत्त था।  बस में 22 यात्री थे , निरिक्षण के दौरान सभी यात्री बे टिकट पाए गए, जबकि परिचालक ने सब से किराया वसूल रखा था । जब  परिचालक से यात्रियों ने टिकट मांगे तो वो बदसलूकी करने लगा तदोपरांत यात्रियों द्वारा उच्चाधिकारियों को दूरभाष के माध्यम से वस्तुस्तिथि से अवगत कराया गया । जैसे ही सूचना मुख्यालय पहुंची तो तत्काल परवर्तन टीम द्वारा बस को हरिद्वार पहुँचने से पूर्व ही मार्ग पर रोक लिया गया शिकायत के मुताबिक़ बस में 22 यात्री बिना टिकट मिले तो  परवर्तन टीम ने इ- टिकटिंग मशीन को अपने कब्जे में लेकर मुख्यालय को रिपोर्ट प्रेषित कर दी । उक्त घटना के बाद प्रबंध निदेशक ने कम आय वाले  कार्मिको की भी समीक्षा शुरू कर दी। प्रबंध निदेशक ने अनुबंधित बस एवं निगम बसों की आय को पृथक-पृथक रख समीक्षा करने के भी निर्देश जारी कर दिए है।अपुष्ट ख़बरों के अनुसार मार्गो पर बसों में बिना टिकट यात्रियों के मिलने का मुख्य कारण यातायात अधीक्षकों  का कार्यालय प्रेम बताया गया। मसलन 9 में से 7 यातायात अधीक्षक कार्यालयों में पंखो एवं ए सी के नीचे ठंडी हवा खा रहे हैं और इतना ही नहीं कार्यालय में बैठे-बैठे यातायात निरीक्षक से रुट की लोकेशन समय-समय पूछते रहते है, ताकि सम्बंधित अधिकारी को बिलकुल सही जानकारी उपलब्ध कराई जा सके । कुछ यातायात निरीक्षक भी परिचालकों से अपनी सांठ-गाँठ कर के रखते है, ये इस लिए होता है कि यातायात निरीक्षको को भी रुट आबंटित होते है, हर यातायात निरीक्षक को हर रुट पर जाने की इजाजत नहीं होती।